एहसास

   एहसास
     
गजल गीतों में सुनता था , मुहब्बत प्यार की बाते
किसी का दर्द सुनता था , किसी की रात की बाते
किसी के हाथ में हमदर्द के हाथों को देखा था ,
है देखा रात साथ और सुबह विलगाव देखा था ।

सवालो की तूफाने रोज ही झकझोर जाती थी,
मुहब्बत हर घड़ी अपनी नई पहचान देती थी।
कभी सच्चा कभी झूठा कभी भंगुर लगता था,
दिल ए बेचैन इसको जानने गोता लगा बैठा।

था गहरा ये समंदर सा, न तल अब तक है मिल पाया ,
तूफान-ए-इश्क़ की लहरें , था मेरे दिल में आ बैठा 
गति एहसास का इतना ,की जितना मन का होता है । 
मैं एहसासों की नौका पर, समंदर पार का सोचा ।

जावा दिल में तरंगों सी मिली संवेदना ऐसी, 
की जैसे दिल के दरवाजों पे दस्तक दे रहा कोई ।
वो नभ को घेरे था बादल,नए लिवास में उस दिन, 
था दिन में रात का मंजर हवाए तेज था उस दिन। 

अकेला ही लिए प्याला खड़ा खिड़की से झांका मैं
नजर पहला ही उसको देखा, जैसे हमनवा हो वो
नजर में वो नजर उस पर, चला ये सिलसिला ऐसा
था मानो वर्षो से दस्तक ,इसी का दिल पे हो मेरा 

वो छत पे रोज आती थी ,उफाने दिल में भरती थी,
मैं उसको देखते रहता, है जब तक वो न जाती थी।
सफर उसका सफर मेरा ,लगा था एक है उस दिन ,
कि जिस दिन वो निगाहो से मेरे दिल को चुराया था ।

लगा तब आसमा झुक के जमी से आ मिला उस पल
हो ताप्ती रेत में बरसात का एहसास था उस पल ।
ज़माने की फ़िक्र ना, रिश्ते का ख्याल था उस पल ,
मैं उसका हु , वो मेरी है बस इतना याद था उस पल।

मोहब्बत से परे था मैं , मोहब्बत में पड़ा ऐसा 
वो मुझसे दूर वर्षो से न जाने फिर क्यों दिल धड़का
न बाते होती अब उससे , मुलाकातों का काश जिन्दा
वो लगती पास अब भी है , मैं उसके पास हु बैठा
  
                                             पीयूष जायसवाल  

होकर किसी और की तू मुझे खुश रहने का ज्ञान न दे तू अपने आशिक़ का ख्याल रख हमारे ऊपर ध्यान मत दे

                                              
की न जाने किस तरह का इश्क़ कर रहे है हम कि जो हमारे हो नहीं सकते उसी पर मर रहे है हम/

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