दर्द

दर्द










युही दूरियो मे गुजर गई जिंदगी
कभी वो जुडा कभी मैं जुडा
इन चाहतो के मोर पे 
कभी वो रुकी कभी मैं रुका
वही रास्ते वही मंजिले
न उसे खबर न मुझे पता
अपनी अपनी अनाह की आग में
कभी वो जाली कभी मैं जला
ये कुद्रतो का अज़ीव खेल था
की ना वो बेवफ़ा न मैं बेवफ़ा
तो खुदा ये कैसा इंसाफ हुआ
की ना वो मुझे मिली ना मैं उसे मिला|

                                   
                                               ~ पीयूष 🖤





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