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शायद मेरे ही नसीब में नहीं है मोहब्बत...💔

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जब भी कही दिल लगता है, जितनी बार कोई भरोसा दिलाता है,  जब भी किसी पर भरोसा होने लगता है, हर बार खुद को बेबस ही पाता हूँ मैं. याहा मोहब्बत चाहिए सब को पर देना कोई नहीं चाहता,  ये जब तक चाहते हैं, जब तक मन होता है, ये जब तक इंटरेस्ट होता है,  परवाह भी तब तक करते है, और ना जाने क्यों, एक वक्त के बाद इरेटेट होने लगता है. और बात बस मोहब्बत तक सीमित नहीं थी, दोस्ती में भी हर कोई मतलब का दिखा,  बस अपने मतलब तक साथ रहे, कोई एक न दिखा जिसे दिल से लगन हुई हमसे. समझ नहीं आता नसीब मेरा खराब है या मैं ही लोगो को परखने में हर बार भूल कर बैठाता हूं  इतना ठोकर खा के भी ये पता नहीं चल पाता की कौन सही है और कौन गलत। बस एक छोटी सी चाहत थी की कोई हो जिसके लिए हम जरूरी हो,  जो हमारी परवाह करे और प्यार करे, पर अब ऐसा लगता है की शायद दुनिया का सबसे मुश्किल काम ही यही है...                                                                                     पीयूष 💔 जायसवाल

याद आते हो 😔

अर्ज किया है मतलाब ये की भूला नहीं हु ये भी नहीं की याद आते हो पहले सबसे पहले तुम थे अब तुम सब के बाद आते हो

ऐ दिल है मुश्किल

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जब प्यार में प्यार न हो जब दिल में यार न हो जब आँसूओ में मुस्कान न हो जब लफ़्ज़ों में जुबान न हो जब दर्द में यार न हो जब साँसे बस यूं ही चले जब हर दिन में रात ढले जब इंतज़ार सिर्फ वक़्त का हो जब याद उस कमबख्त की हो मोहब्बत में प्यार मिले या ना मिले, पर  याद करने के लिए एक चेहरा जरूर मिल जाता है..! क्यों वो हो राही जो हो किसी और की मंजिल जब धड़कनों ने साथ छोड़ दिया हसरत ये है की तुम मिल जाओ तमन्ना ये है, उम्र भर के लिए...!! इतना प्यार तोह मैंने खुद से भी नहीं किया जितना तुमसे हो गया हैं. वो मोहब्बत बहुत गहरी होती है, जो शुरु ही दोस्ती से होती है.. मना की मुझे प्यार इजहार करना नहीं आता.. पर जज्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नहीं है...! कैसे मान लूं इश्क़ एक बार होता है  तुझे जितनी बार देखूं मुझे हर बार होता है मुझे बेहतर की नहीं तुम्हारी ज़रूरत है. तुम ही जरुरी हो अगर तुम समझो तो... ऐ दिल है मुश्किल , ऐ दिल है मुश्किल!                                                ~ पीयूष जायसवाल    💖

मत जा रुक जा

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तन्हाईयोन में बंधनके मत जा... रुक जा, मुझे गुनहेगर मानके मत जा... रुक जा, मुझसे दूर रहकर खुश रह लोगी तुम, बात ये सच जानके मत जा... रुक जा, तेरे बिन मर जाउंगा मैं नहीं जानती तू, मेरी मौत की दुआ मांगके मत जा... रुक जा, कोई हक नहीं तुझे मुझे यूं रुस्वा करने का, मोहब्बत की हद को लंघे मत जा... रुक जा, मेरे आँखों के सैलाब की कुछ कद्र तो कर, इस्की लहरों को ऊंछालके मत जा... रुक जा, कबर में रहने के दर्द को महसूस कर, महज़ फूलो को डालके मत जा... रुक जा, बहुत नाज़ुक नीव है मेरी दुनिया-ए-ख़्वाब की, एक झटके में इसे जगाके मत जा... रुक जा, तू ने मेरे सच्चे प्यार की प्रतीक्षा देखी नहीं कसक को हराने की थानके मत जा... रुक जा...                                                            ~ पीयूष