मत जा रुक जा
तन्हाईयोन में बंधनके मत जा... रुक जा,
मुझे गुनहेगर मानके मत जा... रुक जा,
मुझसे दूर रहकर खुश रह लोगी तुम,
बात ये सच जानके मत जा... रुक जा,
तेरे बिन मर जाउंगा मैं नहीं जानती तू,
मेरी मौत की दुआ मांगके मत जा... रुक जा,
कोई हक नहीं तुझे मुझे यूं रुस्वा करने का,
मोहब्बत की हद को लंघे मत जा... रुक जा,
मेरे आँखों के सैलाब की कुछ कद्र तो कर,
इस्की लहरों को ऊंछालके मत जा... रुक जा,
कबर में रहने के दर्द को महसूस कर,
महज़ फूलो को डालके मत जा... रुक जा,
बहुत नाज़ुक नीव है मेरी दुनिया-ए-ख़्वाब की,
एक झटके में इसे जगाके मत जा... रुक जा,
तू ने मेरे सच्चे प्यार की प्रतीक्षा देखी नहीं
कसक को हराने की थानके मत जा... रुक जा...
~ पीयूष
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