फर्क नहीं पड़ता


हां फर्क नहीं पड़ता मुझे किसी के दूर जानें से

क्योंकि मैंने उसे दूर जाते देखा है 

जिससे दूर होना ख़्वाब में भी नहीं सोचा

हां फर्क नहीं पड़ता किसी के वादों से

क्योंकि मैंने उसे वादें तोड़ते देखा है 

जिससे हर वादा पूरे होने कि उम्मीद थी

हां फर्क नहीं पड़ता किसी के एहसासों से

क्योंकि मैंने उन एहसासों को मरते देखा है जो जीने कि वजह थे

हां फर्क नहीं पड़ता किसी के सवालों से

क्योंकि मैंने उसे ख़ामोश होते देखा 

जिसके सवालों का जवाब देना पसंद था

हां फर्क नहीं पड़ता अब किसी के रूकने का

क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी को रूठते देखा है

हां फर्क नहीं पड़ता मुझे किसी के भी बात ना करने से

क्योंकि मैंने उसे भी मुड़ते देखा है 

जिसके खातिर मेरा वक्त कुछ ना था

आज़ देखना चाहता है मुझे

जिसने कभी मुझे नजरअंदाज किया था

आज़ साथ चाहता है वो मेरा

जिसने बीच राह मेरा साथ छोड़ा था

आज वो मुझे मुस्कुराते हुए मुझे फिर देखना चाहता है

जिसने मेरी सारी खुशियां छीन आंसू दिये थें

आज़ वो मेरे आंसू पोंछने कि चाह रखता है

जिसने जिंदगी को आंसू बनाया है

आज़ फिर इस सफ़र में वो मेरे साथ चलाना है

लगता है आज़ फिर वो मुझे तन्हा करना चाहता है

आज़ वो जिंदगी मुस्कुराते देखना चाहता है

लगता है आज़ फिर वो खुशियां छीनना चाहता है

आज़ फिर वो साथ देने का वादा मुझसे चाहता है

लगता है आज़ फिर वो सारे वादों को तोड़ना चाहता है

आज चाहत वो मुझे कि रखता है लगता है 

आज़ फिर वो किसी को तन्हा करना चाहता है...


 - पीयूष जयसवाल

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